हिंदू पंचांग के अनुसार साल का चौथा महीना आषाढ़ का होता है. इसी महीने में बारिश प्रारंभ होती है. संत समाज के लिए यह समय बहुत ही अनुकूल होता है.

इस समय ये एक ही स्थान पर रुक कर भगवान का भजन करते हैं. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ मास के साथ ही चतुर्मास का प्रारंभ हो जाता है. इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. क्योंकि सभी देव अपने शयनकक्ष में चले जाते है. इसी महीने में देवशयनी या हरिशयनी व्रत भी रखा जाता है. मान्यता है कि आषाढ़ मास में एकभुक्त व्रत रखने सूर्य देव को अर्घ्य दान देने से दुश्मनों पर विजय प्राप्त होती है.

एकभुक्त व्रत क्या है? (Ekbhukt Vrat Vidhi 2022)
व्यक्ति दिन रात (24 घंटे) मिलाकर जब एक बार केवल दोपहर में किसी एक ही प्रकार के अन्न का सेवन करता है पूरे दिन व्रत रहता है. तो इस प्रकार के व्रत को एकभुक्त व्रत कहा जाता है. आषाढ़ में एकभुक्त व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होने की मान्यता है.

आषाढ़ मास में अवश्य करें ये काम
- हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ मास के समय वर्षा प्रारंभ हो जाती है. जिसके चलते पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. अधिक भोजन करने से पेट संबंधी रोग हो सकता है. इसीलिए इस महीने में एकभुक्त व्रत करना चाहिए.

- आषाढ़ मास को संत ब्राह्मणों को खड़ाऊ, छाता, नमक आंवले का दान करना चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं आर्थिक लाभ प्राप्त होता है.

- आषाढ़ के महीने में सूर्य देव की पूजा का भी विधान है.

- जिन जातकों की कुंडली में सूर्य कमजोर हैं. उन्हें इस महीने लाल कपड़े में गेहूं, लाल चंदन, गुड तांबे के बर्तन दान किसी योग्य ब्राह्मण को देना चाहिए. इससे सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं.

- आषाढ़ मास के प्रत्येक रविवार को बिना नमक का भोजन करें. इससे शारीरिक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है.

- आषाढ़ के महीने में प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर नहाने से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है. सूर्य नमस्कार प्राणायाम करने से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है.