छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर स्थित मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह पहले चार बच्चों की मौत हो जाने के मामले में राज्य सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है  राज्य सरकार ने इस मामले में मंगलवार को कार्रवाई करते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ को निलंबित कर दिया है क्योंकि ये डॉक्टर घटना की रात ड्यूटी से नदारद थे. वहीं डॉक्टर लखन सिंह से एमएस का पदभार छीन लिया गया है. इसके अलावा घटना से 7 दिन पहले हुए जच्चा बच्चा की मौत मामले में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर को भी सस्पेंड कर दिया गया है. ये जानकारी होने के बाद भी घटना की रात ड्यूटी पर नहीं पहुंची थी. डॉ. लखन सिंह की जगह अस्थाई रूप से डॉक्टर आर्या को अधीक्षक बनाया गया है। 

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अवर सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि, राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंह देव चिकित्सा महाविद्यालय संबंध चिकित्सालय अंबिकापुर में पांच दिसंबर को शिशु रोग विभाग में गंभीर अवस्था में नवजात शिशु भर्ती थे। इस दौरान डॉ. कमलेश प्रसाद विश्वकर्मा रात्रि ड्यूटी के दौरान अस्पताल में उपस्थित नहीं थे। न ही भर्ती शिशुओं के उपचार के लिए कोई ठोस पहल की। उनकी लापरवाही से अस्पताल में भर्ती शिशुओं की मृत्यु हुई। 
 
प्रसव में लापरवाही पर स्त्री रोग विशेषज्ञ का निलंबन

वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मंजू एक्का को प्रसूता और उसके बच्चे की मौत के चलते निलंबित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि, प्रतापपुर से 29 नवंबर को रेफर की गई सुबुकतारा पत्नी इजराफिल की हाई रिस्क प्रेगनेंसी थी। अस्पताल से सूचना मिलने के बाद भी डॉ. मंजू ने अपने दायित्व और कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया। जांच में सामने आया कि डॉक्टर की ओर से लापरवाही के चलते दोनों की जान चली गई। 

अभी और कार्रवाई संभावित
लगातार लापरवाही की शिकायतों से भड़के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह इशारा किया है कि अभी और कार्रवाई संभावित है। जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर से बेहतर कोआर्डिनेशन के लिए डॉक्टर रेलवानी भी असिस्टेंट एमएस व इंचार्ज ऑफ एमसीएच बनाए गए हैं। घटना तिथि को अवकाश पर होने के कारण डॉक्टर रेलवानी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।