मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 1992-93 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान लापता हुए 168 लोगों से जुड़ी जानकारियों वाली एक रिपोर्ट सौंपने का महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह रिपोर्ट इसके लिए गठित समिति को सौंपने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह निर्देश शुक्रवार को दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य के गृह विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा मार्च 2020 में दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि दंगों में 900 लोग मारे गए और 168 लोग लापता हुए। मृतकों तथा 60 लापता लोगों के कानूनी उत्तराधिकारियों को मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है। न्यायमूर्ति एस.के.कौल, न्यायमूर्ति अभय एस.ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने उस याचिका पर अपने फैसले में कई दिशा निर्देश जारी किए, जिसमें राज्य सरकार को श्रीकृष्ण जांच आयोग के निष्कर्षों को स्वीकार करने और उस पर कार्रवाई करने को कहा गया। इसके अलावा लापता लोगों के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के लिए भी निर्देश दिया गया। जिन लापता लोगों के परिवार वालों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है उन्हें यह मुआवजा दिलवाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। पीठ ने कहा, इस फैसले द्वारा जारी निर्देशों का पालन किस हद तक हुआ है इसकी निगरानी के लिए महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति होगी। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार समिति में एक राजस्व अधिकारी और एक पुलिस अधिकारी को शामिल करेगी। दिशा निर्देश में कहा गया है कि राजस्व अधिकारी डिप्टी कलेक्टर और पुलिस अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त के रैंक से नीचे का नहीं होगा। पीठ ने ये भी कहा, राज्य सरकार समिति को एक रिपोर्ट सौंपेगी जिसमें नाम और पते सहित 168 लापता व्यक्तियों का डिटेल होगा। राज्य सरकार उन 108 लापता व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों के पूरे स्टेटस की जानकारी देगी। इसमें खास तौर से उनसे संबंधित जानकारियां शामिल होंगी, जिन्हें मुआवजे से वंचित किया गया है। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इन लोगों के परिवार के सदस्यों या वंशजों का पता लगाने की हर संभव कोशिश करे। न्यायालय ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम रखने और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में राज्य सरकार नाकाम रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 60 लोगों के परिवार को मुआवजा दिया गया और बाकी 108 लापता लोगों के परिजन को मुआवजा नहीं अदा किया गया क्योंकि उनके परिवार या उनके आवासीय पते की जानकारी नहीं मिल सकी। सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे का काम पूरा करने के लिए 9 महीने का समय दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार दंगे को नियंत्रित कर पाने में बुरी तरह नाकाम हुई थी। राज्य सरकार की इस नाकामी का अंजाम आम जनता को भुगतना पड़ा। इसके बाद भी 168 लापता हुए लोगों में से अब तक सिर्फ 60 लोगों के परिजनों को ही मुआवजे दे पाने में सरकार कामयाब हो पाई है।
- बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद हुए थे मुंबई दंगे और सीरियल बम ब्लास्ट
1992-93 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद मुंबई में दंगे हुए थे। इस दंगे में 900 लोग मारे गए थे और 2036 लोग घायल हुए थे। मुंबई के 1992-1993 के दंगे और 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट से जुड़ी अहम सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह अहम निर्देश दिए।