वाशिंगटन । धरती वासियों के लिए अंतरिक्ष हमेशा से ही कौतुहल का विषय रहा है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की माने तो हमारा अंतरिक्ष हैरान कर देने वाली चीजों से भरा हुआ है। जिन चीजों की पृथ्वी पर बहुत कीमत है वह अंतरिक्ष में यूं ही पत्थर की तरह तैर रहे हैं। ऐसा ही 16-साइकी एस्टेरॉयड है, जो कीमती खनिजों से भरा हुआ है। इस एस्टेरॉयड पर इतना कीमती खनिज है जो पूरी पृथ्वी की अर्थव्यवस्था से भी कहीं ज्यादा है। 
ये इतना ज्यादा है कि गरीब से गरीब देश अगर इसे सबसे पहले पा ले तो उसकी किस्मत बदल जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक इस एस्टेरॉयड पर 10 हजार क्वाड्रियन डॉलर का खजाना है। लेकिन इसकी कीमत जितनी होश उड़ाने वाली है उतना ही मुश्किल यहां पर जाना है। क्योंकि यहां पर खनन करना पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा महंगा है। यानी अगर हमने इस पर खनन करना चाहा तो पूरी दुनिया कंगाल हो जाएगी। आइए समझते हैं कि आखिर इस एस्टेरॉयड का खजाना पाना इतना मुश्किल क्यों है। 16-साइकी एस्टेरॉयड धातु से बना है। इस पर लोहा, निकल और सोना प्रचुर मात्रा में है।ये हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े एस्टेरॉयड में से एक है। इसका वृत्त 140 किमी के लगभग है। ये आलू की तरह दिखता है। 16-साइकी एस्टेरॉयड हमारे सौर मंडल के एस्टेरॉयड बेल्ट में मंगल और बृहस्पति गृह के बीच है।
 यह हर पांच साल में ये सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है। जितनी दूर पृथ्वी से सूर्य है ये एस्टेरॉयड उससे तीन गुना ज्यादा है। इस रहस्यमय एस्टेरॉयड की खोज इटली के खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने 17 मार्च 1852 को की थी। उन्होंने ग्रीक देवता साइकी के नाम पर इस एस्टेरॉयड का नाम रखा। हालांकि अभी तक इसके लिए कोई मिशन लॉन्च नहीं किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों ने नासा के हबल टेलीस्कोप के जरिए एस्टेरॉय के इन्फ्रारेड वेवेलेंथ, रडार से ये पता लगाने में कामयाब रहे हैं कि इसका आकार आलू की तरह है।क्या 16-साइकी एस्टेरॉयड को लेकर और खोज करने का प्लान है? इसका जवाब हां है।
 अगस्त 2022 में नासा इस एस्टेरॉयड को लेकर एक मिशन लॉन्च करेगा। 2026 में ये एयरक्राफ्ट वहां पहुंचेगा। नासा का लक्ष्य होगा कि ये स्पेस क्राफ्ट 21 महीनों तक इस एस्टेरॉयड का चक्कर लगाए और इसकी सतह और वहां मौजूद धातु को लेकर डेटा इकट्ठा करे। हालांकि ये हमारे लिए चिंता की बात नहीं है, क्योंकि नासा इस पर खनन का प्लान नहीं बना रहा है।