उज्‍जैन ।   ज्‍योतिर्लिंग महाकालेश्‍वर की नगरी उज्‍जैन में मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने नवनिर्मित वैभवशाली 'श्री महाकाल लोक' देश को अर्पित किया। इस 'लोक' में भव्‍य प्रतिमाओं में वर्णित भगवान महादेव की गाथाओं को देखने के बाद प्रधानमंत्री ने जनता-जनार्दन को संबोधित किया। उन्‍होंने 'श्री महाकाल लोक' को भारत की सांस्‍कतिक व आध्‍यात्मिक चेतना का नया शिलालेख बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया भारत का सांस्‍कतिक वैभव देखकर चकित है कि हमारे महान ऋषि-मुनियों, पूर्वजों ने बिना तकनीक के ऐसे विराट मंदिर कैसे बनाए। अब नया भारत अपने इन्‍हीं मंदिरों को, उसी आध्‍यात्मिक गौरव को पुन: सहेज रहा है। वे बोले - 'महाकाल का बुलावा आया, तो यह बेटा (मोदी) बिना आए कैसे रह सकता था।' इससे पूर्व उन्‍होंने महाकाल मंदिर के गर्भगह में ज्‍योतिर्लिंग का पूजन-अर्चन किया व मौन साधना कर ध्‍यान लगाया। मंगलवार 11 अक्‍टूबर का सूर्य जब पूरब में उदित हुआ, तब उसने देखा उज्‍जयिनी के राजाधिराज और इस सष्टि के अधिपति महाकालेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग का अद्भुत वैभव। शाम होते-होते यह वैभव तब और बढ़ गया जब राष्‍ट्रनायक व शिवभक्‍त प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी नवनिर्मित 'श्री महाकाल लोक' का लोकार्पण करने महाकाल नगरी पहुंचे। पूरी दुनिया में बसे सनातन धर्मावलंबियों की दष्टि उज्‍जयिनी पर थी। इसी मंगल क्षण में प्रधानमंत्री ने पहले महाकाल मंदिर में पहुंचकर ज्‍योतिर्लिंग की पूजा-अर्चना की और फिर भव्‍य श्री महाकाल लोक का लोकार्पण किया। उज्‍जयिनी की धरा पर ऐसा अद्भुत दश्‍य उपस्थित हुआ मानो श्री महाकाल लोक में सभी मंत्र सिद्ध हो गए हों और उज्‍जयिनी का हजारों वर्षों की साधना का पुण्‍य फलित हो गया हो। कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की द्वितिया तिथि का यह दिन उज्‍जैन व भारतवर्ष के इतिहास में दर्ज हो गया। हिमालय की गोद में विराजित केदारनाथ, मां गंगा के किनारे स्थित काशी विश्‍वनाथ के बाद अब मोक्षदायिनी शिप्रा की नगरी उज्‍जैन में विराजित स्‍वयंभू ज्‍योतिर्लिंग महाकाल के नवनिर्मित 'लोक' को देखकर सनातन धर्म का वैभव और बढ़ गया।

शिव को लगाया त्रिपुंड, गर्भगह में किया मंत्र जाप

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी उज्‍जैन पहुंचने के बाद सबसे पहले महाकालेश्‍वर मंदिर पहुंचे। यहां मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्‍यपाल मंगु भाई पटेल, केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने उनका स्‍वागत किया। धवल वस्‍त्र पहले, सोला डाले मोदी ने गर्भगह में प्रवेश किया, जहां मुख्‍य पुजारी घनश्‍याम पुजारी ने प्रधानमंत्री के हाथों में पवित्र जल देकर मंत्रोच्‍चार के साथ पवित्रीकरण करवाया। इसके पश्‍चात मुख्‍य पुजारी के नेतत्‍व में पुजारी दल ने मंगल मंत्रों के साथ देवाधिदेव का पूजन करवाया। प्रधानमंत्री ने ज्‍योतिर्लिंग को त्रिपुंड तिलक लगाकर शीश नवाया। शाम 5 बजे बाद महाकाल मंदिर में जलाभिषेक निषेध होने के कारण षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 प्रकार के मंगल द्रव्‍यों से राजाधिराज का पूजन किया गया। मोदी पूरे पूजन के दौरान किसी योगी की भांति आदियोगी महाकाल के समक्ष साधना मुद्रा में बैठे रहे। चंदन, अबीर, गुलाल, पुष्‍प, बिल्‍वपत्र सहित नानाविध द्रव्‍यों से प्रधानमंत्री ने पूजा की। पुजारी दल ने प्रधानमंत्री को अंगवस्‍त्र भेंट कर बाबा महाकाल का आशीर्वाद दिया।

'जोगी' ने साधा गहन मौन, गर्भगृह में लगाया ध्‍यान

प्रधानमंत्री मोदी जब गर्भगह में थे, तब वे राष्‍ट्रनायक की जगह महादेव की साधना में रत जोगी अधिक लगे। वे गर्भगह में ही माला लेकर जाप करने बैठे और शिव की आराधना की। उन्‍होंने करीब पांच मिनट तक सुखासन में बैठकर गहन मौन साधा और ध्‍यान लगाया। तत्‍पश्‍चात माला को पांच बार नेत्रों से लगाकर उसे हाथ में कलावा (रक्षासूत्र) की तरह वैसे ही लपेट लिया, जैसे विरक्‍त साधु लपेटते हैं। ध्‍यान के पश्‍चात उन्‍होंने बाबा महाकाल को पुन: प्रणाम किया और आशीर्वाद लेकर नवनिर्मित 'श्री महाकाल लोक' के लोकार्पण के लिए प्रस्‍थान कर गए।

धरती पर साकार हुआ 'शिव का लोक'

प्रधानमंत्री 'श्री महाकाल लोक' का लोकार्पण करने पहुंचे तब तक शाम का झुटपुट अंधेरा हो चुका था। इस अंधेरे में लोक का उजास चमक उठा। अद्भुत अत्‍याधुनिक लाइटिंग से सुसज्जित 'श्री महाकाल लोक' में प्रधानमंत्री ने एक-एक प्रतिमा, भित्ति चित्र, कमलताल, मानसरोवर भवन, त्रिपुरासुर वध प्रतिमा, आनंद तांडव, समुद्र मंथन आदि को देखा। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरे समय प्रधानमंत्री को प्रतिमाओं की जानकारी देते रहे। नव्‍य और भव्‍य लोक जब अपने संपूर्ण सौन्‍दर्य व वैभव के साथ लोकार्पित हुआ, तो ऐसा लगा मानो साक्षात शिव का संपूर्ण लोक इस धरती पर 'श्री महाकाल लोक' के रूप में अवतरित हो आया है। इस दौरान देशभर से आए 700 से अधिक कलाकारों ने शिव की विभिन्‍न गाथाओं व लीलाओं का सजीव मंचन किया।

रक्षासूत्र शुभता का प्रतीक, ऊंचाई वास्‍तुशास्‍त्र सम्‍मत

श्री महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर प्रधानमंत्री मोदी ने कलावा (रक्षासूत्र) से बनाए गए 16 फीट ऊंचे शिवलिंग का अनावरण भी किया। विद्वानों के अनुसार रक्षासूत्र शुभता का प्रतीक है। यह सुरक्षा का कारक है और धर्म में एकाग्रता को बढ़ाता है। इसका लाल रंग अशुभ को हटाता है, पीला ज्ञान की वद्धि करता है, हरा रंग समद्धि देता है और नीला रंग मानसिक अवसाद को दूर करता है। यही कारण रहा कि भव्‍य प्रवेश द्वार पर ही रक्षासूत्र से बने शिवलिंग को रखा गया। इसकी ऊंचाई भी वास्‍तुशास्‍त्र के अनुसार रखी गई। वास्‍तु का शास्‍त्र कहता है कि 11, 13 व 16 फीट ऊंचाई के शिवलिंग शुभ माने जाते हैं। यह एक तरह से ऊर्ध्‍वगामी शिवलिंग है, जो धर्म को उत्‍तरोत्‍तर ऊर्ध्‍व दिशा में ले जाता है। यही कारण रहा कि इसकी ऊंचाई 16 फीट रखी गई।

काल के कपाल पर अस्तित्‍व का शिलालेख

प्रधानमंत्री ने जनता से जय महाकाल का नारा लगवाते हुए कहा - 'आज नया भारत अपने प्राचीन मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ रहा है। जहां इनोवेशन है, वहीं पर रिनोवेशन भी है। गुलामी के काल में हमने जो खोया आज पुन: उस अपने गौरव की, वैभव की पुनर्स्‍थापना हो रही है। आज श्री महाकाल लोक के रूप में भारत ने काल के कपाल पर कालातीत अस्तित्‍व का शिलालेख लिख दिया। उज्‍जैन आज भारत के सांस्‍कतिक अमरत्‍व की उद्घोषणा कर रहा है।