पूर्ण क्षतिग्रस्त घरों में रहने वाले परिवारों को शिविरों में भेजा, कुछ परिवार अब भी खतरों में रहने को मजबूर
जोशीमठ । आपदा प्रभावित जोशीमठ में पूर्णरूप से क्षतिग्रस्त भवनों में रहने वाले परिवारों को तो राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया, लेकिन कुछ परिवार अब भी खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। असल में सीबीआरआइ रुड़की के विशेषज्ञों की टीम के सर्वे के दौरान इन भवनों में बहुत कम दरारें पाई गई थीं, इसके चलते प्रशासन ने इनमें रहने वाले परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट नहीं किया।
अब इन भवनों में भी दरारें चौड़ी हो रही हैं। भवनों के चारों ओर भूधंसाव होने से इनमें रह रहे परिवारों पर दोहरा खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा, इन परिवारों ने प्रशासन से राहत शिविरों में शिफ्ट करने की गुहार लगाई है। प्रभावितों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके क्षतिग्रस्त भवनों को सुरक्षित बताते हुए फिलहाल उन्हें उसमें ही रहने को कहा है।
जोशीमठ में दरारों के कारण 868 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है। इनमें से 181 भवन खतरनाक श्रेणी में हैं। नगर के गांधीनगर वार्ड में दरारों के कारण 156 भवन रहने लायक नहीं हैं। इसी वार्ड में 58-वर्षीय मंजू देवी अपनी विवाहिता बेटी और उसके दो बच्चों के साथ रहती हैं। उनके पति की काफी समय पहले मौत हो चुकी है और बेटी का पति ऋषिकेश में मजदूरी करता है। उनका तीन कमरे का मकान है। इसमें दो कमरे दरारों के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। ऐसे में पूरा परिवार एक कमरे में शिफ्ट हो गया है, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित है। मकान से ऊपर की तरफ पूरी तरह क्षतिग्रस्त कई मकान हैं, जो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं।
मकान के नीचे और अगल-बगल भी भूधंसाव हो रहा है। ऐसे में उनका पूरा परिवार दहशत में जी रहा है। उन्होंने कई बार प्रशासन से राहत शिविर में शिफ्ट करने की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें एक कमरा सुरक्षित होने का हवाला देकर उसमें ही ठहरने के लिए कहा जा रहा है। गांधीनगर वार्ड में ही 60-वर्षीय गोदांबरी देवी बेटे-बहू और एक पोते के साथ रहती हैं। बेटे की मजदूरी से घर चलता है। उनके चार कमरे के घर की हालत भी ठीक नहीं है। घर की दीवारों पर आई दरारें हर रोज चौड़ी हो रही हैं।
उन्होंने भी कई बार प्रशासन से परिवार को राहत शिविर में शिफ्ट करने की बात कही, लेकिन उन्हें भी क्षतिग्रस्त घर में ही रहने को कहा जा रहा है। मंजू व गोदांबरी देवी की तरह कई और परिवार भी हैं, जो असुरक्षित मकानों में दहशत के साये में दिन काट रहे हैं। आपदा प्रभावितों ने सरकार की ओर से घोषित राहत पुनर्वास नीति को प्रभावितों के साथ मजाक बताया। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन में प्रभावितों ने सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि हमने पूरे जोशीमठ को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की मांग की थी। इसके साथ ही हमारी मांग के अनुसार मुआवजा काफी कम है। व्यावसायिक भवनों का तो बिलकुल कम मुआवजा है। प्रभावितों के भूमि के मुआवजे के लिए अभी तक सरकार की ओर से शासनादेश तक जारी नहीं किया गया है। सिंहधार वार्ड में पिछले दिनों पुश्ते में दरार आने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ मोटर मार्ग अब तक नहीं खुल पाया है। इस मार्ग पर भूधंसाव बढ़ता ही जा रहा है। मार्ग में कुछ नए स्थानों पर भी दरारें आई हैं, जिससे टाइल उखड़ रही हैं। इससे मार्ग पर पैदल आवाजाही ही हो पा रही है, उसमें भी गिरकर घायल होने का खतरा बना हुआ है। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मार्ग को दुरुस्त कराने की गुहार लगाई है।