वंदे भारत का किराया घटने को लेकर असमंजस बरकरार
भोपाल। इंदौर-भोपाल के बीच वंदे भारत चलते हुए एक महीना पूरा हो गया है। इस दौरान यह ट्रेन दोनों दिशाओं में 30 प्रतिशत भी नहीं भर पा रही है। अत्यधिक किराए के कारण इसे यात्रियों ने नकार दिया है। फिलहाल ट्रेन का किराया घटने को लेकर असमंजस बरकरार है और यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि आगामी दिनों में इसका विस्तार और किसी स्टेशन तक होगा या नहीं?
कभी ट्रेन के ग्वालियर तक विस्तार की बात सामने आती है, तो कभी नागपुर तक। पिछले दिनों इंदौर आए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अनिलकुमार लाहोटी ने भी इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी। हालांकि, बैठक में उन्होंने वंदे भारत का समय कम करने और उसके ग्वालियर तक विस्तार की चर्चा जरूर की थी, लेकिन उनसे जब पत्रकारों ने ट्रेन का किराया घटाने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। सूत्रों की मानें तो रेलवे बोर्ड ने किराया 25 प्रतिशत तक घटाने के अधिकार संबंधित जोन को सौंपे हैं, लेकिन इसके लिए एक महीने की रिपोर्ट का इंतजार करना था। इंदौर वंदे भारत ने अब एक महीना पूरा किया है, इसलिए अगस्त में किराए को लेकर कोई फैसला हो सकता है।
जहां इंदौर-भोपाल इंटरसिटी की एसी चेयरकार का किराया 365 रुपए है, वहीं इंदौर-भोपाल वंदे भारत की एसी चेयरकार का किराया 810 और एक्जीक्यूटिव चेयरकार का किराया 1510 रुपए है। वापसी में यानी भोपाल से इंदौर आते समय यह और भी बढ़ जाता है। दोनों श्रेणियों में बुकिंग के लिए यात्रियों को क्रमश: 910 और 1600 रुपए चुकाना पड़ते हैं। हालांकि, इंदौर से जाते समय ट्रेन में नाश्ता और भोपाल से इंदौर आते समय रात का खाना दिया जाता है, लेकिन फिर भी शुल्क अत्यधिक है। इंदौर-भोपाल रूट पर चलने वाली चार्टर्ड वॉल्वो बस 435 रुपए में इंदौर से भोपाल पहुंचाती है। रेलवे इस प्रतियोगिता से भी निपट नहीं पा रहा है।