इस्लामाबाद। पाकिस्तान कई बार ऐसी हरकतें करता है जिससे उसकी बेइज्जती होती है। इस बार तालिबान के सताय हुए अफगानी शरणार्थियों से 830 डॉलर निकास शुल्क पाकिस्तान वसूल रहा है। जिसके कारण पूरी दुनिया में उसकी थू थू हो रही है।  कई पश्चिमी देशों के राजनयिकों और यहां तक की संयुक्त राष्ट्र  ने भी तालिबान के उत्पीड़न से भागे हर अफगान शरणार्थी के शुल्क वसूली की कड़ी आलोचना की है। पूरी दुनिया ने इस फैसले को चौंकाने वाला और निराशाजनक बताया है। यह अभूतपूर्व कदम उन शरणार्थियों को निशाना बना रहा है, जो पुनर्वास योजनाओं के तहत पश्चिमी देशों को जाने के लिए पाकिस्तान छोड़ने का इंतजार कर रहे हैं। 
संयुक्त राष्ट्र की दो एजेंसियों- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने भी इस मुद्दे को उठाया है। इसे राजधानियों और मुख्यालयों में भी उठाया गया है। सभी ने यह संदेश अपने पाकिस्तानी संपर्कों तक भी पहुंचा दिया है।
एक अन्य राजनयिक ने कहा कि पश्चिमी अधिकारियों को आंतरिक और विदेश मंत्रालयों की ब्रीफिंग में इस कदम के बारे में बताया गया था। जब इस निकास शुल्क के बारे में चिंताएं उठाई गईं, तो अधिकारियों को बताया गया कि शुरुआती फैसले में हर शख्स के लिए 10,000 अमेरिकी डॉलर लेने का विचार था, लेकिन इसे घटाकर 830 अमेरिकी डॉलर कर दिया गया था। राजनयिक ने कहा कि यह बहुत अजीब है और मुझे निजी रूप से यह बहुत निराशाजनक लगता है। इस निकास परमिट शुल्क का क्या औचित्य है? पैसा कमाने के लिए और भी बहुत सारे रास्ते हैं?
पाकिस्तान ने बिना दस्तावेज वाले विदेशियों पर कार्रवाई की घोषणा करते हुए लगभग 20 लाख अपंजीकृत अफगानों को देश छोड़ने की समय सीमा 1 नवंबर तय की थी। समय सीमा बीतने के साथ ही पाकिस्तान ने बिना दस्तावेज वाले अफगानों का बड़े पैमाने पर निर्वासन शुरू कर दिया। अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद से सही दस्तावेजों के बिना या खत्म समय वाले वीजा के साथ हजारों अफगानी पाकिस्तान में हैं। वे सभी पश्चिमी देशों में अपने जीवन को फिर से शुरू करने का इंतजार कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश ने पश्चिमी सरकारों और संगठनों के साथ काम किया है और मानवीय आधार पर पुनर्वास के पात्र हैं।
अमेरिकी सरकार अपने देश में लगभग 25,000 अफगानों को बसाने की योजना बना रही है। जबकि ब्रिटेन ने कहा है कि वह 20,000 लोगों का पुनर्वास करेगा। पाकिस्तान में पांच वरिष्ठ पश्चिमी राजनयिकों ने कहा कि पाकिस्तान में निकास के लिए परमिट शुल्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभूतपूर्व था और यह अफगान शरणार्थियों के लिए एक झटके के रूप में आया था। एक राजनयिक ने कहा कि उनको पता है कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत बहुत खस्ता है, लेकिन शरणार्थियों से पैसा कमाने की कोशिश करना वास्तव में बहुत अजीब है।