नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 से जुड़े सवालों के जवाब दिए. उन्होंने इस विधेयक के अहम बिंदुओं का जिक्र किया. उन्होंने यह भी बताया कि यह संशोधन क्यों जरूरी है. अपने जवाब में अमित शाह ने विपक्ष पर भी कटाक्ष किया और कहा कि अगले 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आने वाली है. अमित शाह ने कहा कि आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक के जरिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए), जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की जिम्मेदारियों को नए सिरे से परिभाषित किया गया है. चिंता है कि सत्ता का केंद्रीकरण होगा. लेकिन अगर आप इस पूरे विधेयक को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि डीडीएमए के पास सबसे ज्यादा ताकत होगी. ऐसे में कहीं से भी केंद्र बढ़ाने की बात नहीं है. अमित शाह ने कहा, "आपदा प्रबंधन अधिनियम सबसे पहले 2005 में लागू किया गया था। इसके तहत एनडीएमए, एसडीएमए और डीडीएमए का गठन किया गया... अब चिंता जताई जा रही है कि सत्ता का केंद्रीकरण हो जाएगा। अगर आप पूरे विधेयक को ध्यान से पढ़ेंगे तो क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है, जो राज्य सरकार के अधीन है, इसलिए संघीय ढांचे को कहीं भी नुकसान पहुंचाने की संभावना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया कि संशोधन की क्या जरूरत है। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अगर समय रहते किसी इमारत की मरम्मत नहीं की जाती है तो वह गिर जाती है... उन्हें लगता है कि शायद वे आकर इसे बदल देंगे लेकिन अगले 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आएगी। जो भी करना है, हमें खुद ही करना है..."

आपदा प्रबंधन में संशोधन की क्या जरूरत है

नई तरह की आपदाएं आती रहती हैं, दुनिया की बेहतरीन प्रथाओं को शामिल करके बदलाव किए जा रहे हैं, तो इसमें गलत क्या है। अगर उनकी मंशा हमारे सत्ता में आने पर बदलाव करने की है, तो बहुत देर हो चुकी है। 15-20 साल तक कोई नहीं आने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संशोधन के जरिए हम मैनुअल मॉनिटरिंग से एआई आधारित मॉनिटरिंग की ओर बढ़ने जा रहे हैं। अमित शाह ने कहा कि इस संशोधन से पहले हमने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी सुझाव लिए हैं। हमने घरेलू और विदेशी एनजीओ से भी सुझाव लिए हैं। जिसके बाद हम यह संशोधन विधेयक लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि इस संशोधन के जरिए भारत के गांवों से राजधानी दिल्ली तक आने वाली किसी भी आपदा का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया जा सकेगा।