भोपाल । केंद्र सरकार ने 12 साल पहले ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोड़ने का निर्णय लिया था। 12 साल में अभी तक मध्य प्रदेश की 23000 पंचायतों में से मात्र 25 फ़ीसदी पंचायतों में ही ब्रॉडबैंड कनेक्शन पहुंचा हैं। 75 फ़ीसदी ग्राम पंचायतें आज भी इंटरनेट के जरिए अपने काम नहीं कर पा रही है। जिसके कारण केंद्र एवं राज्य सरकार की कई योजनाएं और ग्राम पंचायतों के कामकाज ऑनलाइन नहीं हो पा रहे हैं। 
 भारत नेट स्कीम के तहत ऑप्टिकल फाइबर केबल से,देश की सभी 202924 पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य तैयार किया गया था। मध्य प्रदेश में 23169 ग्राम पंचायतों मे मात्र 6402 ग्राम पंचायतें ही वाईफाई से जुड़ पाई हैं। 
 रिकॉर्ड के अनुसार 18086 पंचायतों को वाईफाई सुविधा से जोड़ने का दावा किया जाता है। किंतु इसमें 12000 पंचायतों में अभी तक इंटरनेट चालू नहीं हुआ है। वास्तविक स्थिति यह है,कि पंचायतों में इंटरनेट कनेक्शन चालू ही नहीं है। चार-पांच साल पहले कुछ कनेक्शन किए गए थे। लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में केबल क्षतिग्रस्त हो गई, और इंटरनेट बंद हो गया। 
 ग्राम पंचायतों तक नेटवर्क कंपनी को इंटरनेट चालू करने का ठेका दिया गया था। वह भी अपना काम नहीं कर पाई। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नेटवर्क कंपनी को फेज वन में ओवैसी से जुड़ी 15552 पंचायतों के इंटरनेट कनेक्शन को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके लिए इसे भुगतान भी किया गया। इसके बाद भी इस कंपनी द्वारा किसी भी तरीके से इंटरनेट चालू कर दिया गया,कुछ ही दिन बाद में बंद भी हो जाता है। 
 सूत्रों के अनुसार बीएसएनल ने सीएससी के तहत कनेक्शन दिए थे लेकिन केवल के रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं होने से ब्राडबेंड कनेक्शन चालू नहीं है। 
 सरकार ने अपनी सभी योजनाओं ऑनलाइन कर दी हैं। पंचायतों को भी अपने सारे कामकाज की जानकारी ऑनलाइन ही पोर्टल में उपलब्ध कराना पड़ती हैं। इंटरनेट कनेक्शन सही तरीके से संचालित नहीं होने के कारण आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत कर्मियों को भी परेशान होना पड़ रहा है।