जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जल जीवन मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए जल स्त्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उपलब्ध जल स्त्रोतों का उचित सर्वेक्षण कर ही जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाएं बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में मिशन की सफलता के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ई.आर.सी.पी.) अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे जिलों में पानी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द ई.आर.सी.पी. को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देना चाहिए ताकि इसका निर्माण जल्द पूरा हो और प्रदेश की जनता लाभान्वित हो सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए योजना के मापदंड तैयार करने चाहिए। राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थिति व छितराई बसावट को देखते हुए हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर प्रति नल कनेक्शन लागत बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए मिशन में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाकर 90 प्रतिशत की जानी चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार द्वारा 3,950 करोड़ रूपये व्यय कर 16.79 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है। मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 20,245 गांवों की कुल 7,022 योजनाओं के लिए 19,084 करोड़ रूपये के कार्यादेश जारी हो चुके हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से अपील की कि जल जीवन मिशन की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक की जाए। विभिन्न कारणों से लागत में आई बढ़ोतरी को भी परियोजना के व्यय में शामिल किया जाए।जलदाय मंत्री श्री महेश जोशी ने कहा कि योजना के सफल क्रियान्वयन में बाधा बन रहे सभी कारणों को केन्द्र सरकार के सामने उठाया जाएगा तथा समयबद्ध तरीके से इनका समाधान किया जाएगा।