विदेशों में सूरजमुखी और सोयाबीन के भाव एक ही हैं पर देश के खुदरा बाजार में सूरजमुखी तेल आयात भाव के मुकाबले 40-50 रुपये लीटर अधिक भाव से और सोयाबीन तेल 15-20 रुपये लीटर अधिक कीमत पर बिक रहा है।बजार सूत्रों ने कहा कि तेल संगठनों को इस बात की भी जानकारी सरकार को देनी चाहिए। तेल संगठनों की खामोशी का फायदा बहुराष्ट्रीय या बड़ी कंपनियों को मिलता है।

बता दें विदेशी बाजारों में तेजी के रुख और डॉलर के मजबूत होने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सूरजमुखी, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन तेल के साथ-साथ सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुतेजी आई, जबकि सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
    
सूत्रों ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान जैसी जगहों के आयातक पहले से ही परेशान थे, जिन्हें लगभग 2,150 डॉलर प्रति टन के भाव आयातित तेल को आधे से भी कम दाम में तब बेचना पड़ा जब इसके आयात का भाव लगभग 900 डॉलर प्रति टन रह गया। इसके साथ डॉलर के मजबूत होने के बाद आयातकों को अधिक रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। आयातक इस दोहरी मार से त्रस्त हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार के शुल्कमुक्त खाद्य तेलों के आयात का कोटा निर्धारित करने के फैसले के बाद बाकी आयातकों ने नये सौदे खरीदने से हाथ खींच लिया। निर्धारित कोटा से अलग आयात करने पर इन आयातकों को आयात शुल्क अदा करने के बाद उनका महंगा तेल बाजार में खपना आसान नहीं रह जायेगा क्योंकि बाजार भाव सस्ते आयातित तेलों के हिसाब से तय होने लगेगा। ऐसे में नये सौदे नहीं होने से बाजार में भारी शॉर्ट सप्लाई की स्थिति बन गई है जिससे तेल कीमतों में मजबूती आई है।