नयी दिल्ली | देश के 46.6 प्रतिशत लोगों का कहना है कि बीते एक साल में उनके जीवन की गुणवत्ता घटी है। आईएएनएस-सीवोटर ने बजट के बाद इस संबंध में सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 46.6 प्रतिशत ने कहा कि गत एक साल में उनके जीवन की गुणवत्ता में कमी आयी है, 25.5 प्रतिशत ने कहा कि गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आया है जबकि 24.5 प्रतिशत ने कहा कि उनके जीवन की गुणवत्ता सुधरी है।

सर्वेक्षण में बजट के कारण महंगाई में कमी आने के संबंध में पूछे गये सवाल पर 44.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे महंगाई में कोई कमी नहीं आयेगी, 26.7 प्रतिशत ने कहा कि चीजों के दाम में हल्की गिरावट आयेगी जबकि 22.6 प्रतिशत ने दामों में भारी गिरावट आने की बात की।

आईएएनएस-सीवोटर ने संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किये जाने के बाद बजट पर लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के दौरान उनके कई सवाल पूछे गये। यह सर्वेक्षण देश के अलग-अलग हिस्सों में किया गया और करीब 1,200 लोगों से सवाल पूछे गये।

मॉर्निगस्टार इनवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय बजट में आयकर में किसी प्रकार की छूट नहीं दी गयी जिससे कोरोना संकट के दौर में कम आय और बढ़ती महंगाई से जूझ रहे मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली। बजट में निजी उपभोग क्षमता को बढ़ाये जाने के उपाय भी सीमित रहे। आयकर में राहत और मनरेगा के आवंटन में बढ़ोतरी से निजी उपभोग क्षमता पर तत्काल सकारात्मक प्रभाव पड़ता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी दबाव में आते नहीं दिखे क्योंकि केंद्रीय बजट में लोकलुभावन और क्षेत्रीयता को ध्यान में रखकर प्रावधान नहीं किये गये हैं। इस माह देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को ध्यान में रखकर कोई नयी घोषणा नहीं की गयी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आर्थिक पहलू पर अधिक जोर दिया। उनका ध्यान विकास और नयी पीढ़ी के क्षेत्र कहे जाने वाले फिन टेक, स्टार्टअप, क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल रुपया, ड्रोन, सौर ऊर्जा और प्रौद्योगिकी पर रहा।