- कभी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद, विश्व विजेता पहलवान दारा सिंह, पूर्व क्रिकेट कप्तान मदनलाल एवं दिलीप बैंगसरकर ने इस मैदान की मिट्टी को चूम कर कहा था लाजवाब मैदान
* धौलपुर नगर परिषद एवं स्थानीय     राजनेताओं की संकीर्ण मानसिकता के चलते मुख्यालय के एकमात्रा खेल मैदान के अस्तित्व को बचाने में नहीं ली कोई रुचि
* बड़ी फील्ड खेल मैदान ने क्रिकेट, हॉकी एवं फुटबॉल जैसे राष्ट्रीय खेलों में 50 से अधिक प्रतिभाओं को तराशकर धौलपुर का नाम किया रोशन
* शहर मुख्यालय पर उपलब्ध अन्य उपयुक्त स्थानों को छोड़ जबरन मैदान को छोटा कर किया जा रहा है इंडोर हॉल का निर्माण

* धौलपुर। जिला मुख्यालय स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम (बड़ी फील्ड) धौलपुर का ना केवल एक मात्र खेल मैदान है जहां पर प्रमुख खेल गतिविधियां फुटबॉल, हॉकी एवं क्रिकेट के सैंकड़ों खिलाड़ियों के खेल अभ्यास के साथ साथ अनेक जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के खेल के आयोजन भी किये जाते हैं, बल्कि अनेक राष्ट्रीय अभियानों के जन जागरूकता कार्यक्रम भी समय समय पर आयोजित किये जाते रहें हैं। 
दुर्भाग्य से जिला मुख्यालय के एकमात्र इस खेल मैदान जिसका ऐतिहासिक महत्व इस दृष्टि से भी है कि इस मैदान पर अनेक खिलाड़ियों ने अभ्यास कर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर जिले का नाम देश विदेश में रोशन किया है जिसमें क्रिकेट के क्षेत्र में वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य दीपक चाहर व राहुल चाहर, 5 रणजी खिलाड़ी तनवीर उल हक, अमित गौतम व तेजेन्दर सिंह ढिल्लन सहित अण्डर 19 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य विवेक यादव भी इसी मैदान ने दिये हैं। हॉकी के क्षेत्र में लगभग दो दर्जन से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान एवं फुटबॉल के क्षेत्र में लगभग आधा दर्जन से अधिक संतोष ट्रॉफी खेलने वाले राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी इसी खेल मैदान से निकले हैं। 
मेजर ध्यानचंद सहित अनेक ख्यातिनाम खिलाड़ियों ने मैदान की जमीन को चूम कर कहा था बहुत ही सुंदर मैदान
इतना ही नहीं हॉकी के महान खिलाड़ी जादूगर स्व. मेजर ध्यानचंद, रूस्तम ए हिंद स्व. दारा सिंह, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एवं विश्व कप 1983 के विजेता टीम के सदस्य मदन लाल व दिलीप बैंगसरकर, 2011 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य मुनाफ पटेल, भारतीय क्रिकेटर मनिंदर सिंह, महान पोलो खिलाड़ी और जयपुर राज परिवार के महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान अशोक ध्यानचंद, पूर्व कप्तान परगट सिंह, जोगेन्दर सिंह सहित कई बड़े खिलाड़ियों ने इस ऐतिहासिक खेल मैदान की जमकर तारीफ की थी।
सेठ प्रताप सिंह मेमोरियल हॉकी टूर्नामेंट ने धौलपुर की बनाई थी राष्ट्रीय पहचान
यह मैदान अनेक वर्षों तक सेठ प्रताप सिंह मेमोरियल राष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट का गवाह रहा जिसमें इंडियन एयरलाइंस, नामधारी इलेवन, ओएनजीसी, जालंधर इलेवन, इंडियन ऑइल जैसी ख्यातिनाम टीमों ने मैदान पर खेलकर धौलपुर का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल के क्षेत्र में स्थापित किया। 
दुर्भाग्य से मैदान का नहीं हुआ चरण व तरीके से विकास
शहर के बीचों बीच स्थित इस ऐतिहासिक खेल मैदान का दुर्भाग्य से कभी भी व्यवस्थित एवं चरणबद्ध ढंग से विकास  का सदैव अभाव अब आप बना रहा। खेल मैदान के महत्व व खेल मैदान की बनावट को स्थानीय प्रभावशाली लोगों द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सदैव प्रभावित किया गया। पूर्व में व्यवस्थित योजना के अभाव में पूर्व की दिशा में दर्शक दीर्घा मैदान के अंदर हिस्से में बनाकर मूल मैदान को छोटा कर दिया गया वहीं पॉवर हाउस, सीवरेज पंपिंग हाउस की स्थापना से उसे और छोटा कर दिया गया। रही सही कसर को सीमित मैदान व खिलाड़ियों के अभ्यास के लिये कम जगह के बावजूद एक और इंडोर हॉल जिसे वर्तमान बैडमिंटन हॉल के सामने बनाये जाने का निर्णय व उसकी स्वीकृति पूरी तरह से खिलाड़ियों के हितों के साथ अन्याय है। 
पूर्ववर्ती सरकार का रहा अविवेकपूर्ण निर्णय
यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने आनंन-फानन में विकास के नाम पर जो रेबड़ियां बांटी थी उन्हीं के चलते धौलपुर खेल मैदान में इस इंडोर हॉल को बनाए जाने के लिए सरकार की ओर से घोषणा की गई जिसके चलते बिना किसी सोच समझ के इस खेल मैदान के अस्तित्व को संकट में ला खड़ा किया गया है। बताया जाता है कि इस निर्माण के पीछे कुछ ऐसे अर्ध विक्षिप्त स्वयंभू समाजसेवियों की भूमिका भी है जिन्होंने पहले विभिन्न खेल संस्थाओं को हथियाने की नाकाम कोशिश की फिर जब उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने क्रिकेट, फुटबॉल व हॉकी जैसे खेल को धौलपुर में समाप्त करने के लिए कूटनितिज्ञ चाल को चल विकास के नाम पर खिलाड़ियों के लिए विनाश व भविष्य में अंधेरा लाने के प्रयास खड़े कर दिए हैं। 
धौलपुर में आज भी अनेक स्वयंभू खेल संस्थाओं ने धौलपुर के खेल को जमीन दोष कर दिया है। कुछ ऐसे लोग आज भी इन खेल संस्थाओं में शामिल हैं जिन्होंने अपनी स्वयं की इच्छाओं की पूर्ति के अभाव में अन्य युवा खेल प्रतिभाओं के भविष्य को ही अंधकारमय बना दिया है।
मुख्यालय पर अन्य उपयुक्त स्थान के बावजूद मैदान की बर्बादी क्यों
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस ऐतिहासिक खेल मैदान के स्थान पर जिला मुख्यालय पर इंडोर हॉल के लिये अन्य उपयुक्त स्थान होने के बावजूद अकारण ही इस ऐतिहासिक खेल मैदान को कुछ कथित लोगों द्वारा प्रशासन को भ्रमित कर खत्म किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं जो ना केवल निंदनीय है बल्कि ऐसे प्रयासों को रोककर तत्काल प्रभाव से प्रस्तावित इंडोर हॉल को जिला मुख्यालय पर महाराणा स्कूल के प्रमुख खेल मैदान जो आज की परिस्थिति में बदहाल हैं वहां पर प्रस्तावित इंडोर हॉल को स्थापित कर ना केवल ऐतिहासिक खेल मैदान बड़ी फील्ड को बचाया जा सकता है बल्कि महाराणा स्कूल में व्यर्थ पड़े खेल मैदानों का उचित उपयोग भी किया जा सकता है। जो शहर के बीचोंबीच स्थित है। अन्य विकल्प के रूप में पीजी कॉलेज धौलपुर के खेल मैदान, शहर की नई विकसित हो रही बाड़ी रोड जिस पर शैक्षिक हब के रूप में पॉलिटेक्निक कॉलेज, होटल मैनेजमेंंट कॉलेज, महिला महाविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, जवाहर नवोदय विद्यालय, आदि स्थापित हैं। इतना ही नहीं वर्षों से उपेक्षित नेहरू युवा केन्द्र धौलपुर के परिसर में भी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के रूप में इस इंडोर हॉल को विकसित कर नवोदित खिलाड़ियों के लिये उपयुक्त अवसर प्रदान किया जा सकता है। 
 मैदान के अस्तित्व को बचाना जरूरी
 प्रस्तावित इंडोर हॉल को जिला मुख्यालय स्थित महाराणा स्कूल के तीन खेल मैदानों में से किसी एक खेल मैदान पर निर्माण कर इस ऐतिहासिक खेल मैदान बड़ी फील्ड जैसी धरोहर को आने वाले वर्षों में अन्य खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिये संरक्षित रखा जा सकता है। इससे नाचेबल इस ऐतिहासिक खेल मैदान का अस्तित्व बचेगा बल्कि सैकड़ो अनेक खेल प्रतिभाओं को तराशने में भी मददगार साबित होगा।
तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी खेल मैदान की दुर्दशा को देखकर हुई थी नाराज
ऐसा नहीं है कि खेल मैदान की दुर्दशा को लेकर आज ही खेल प्रेमियों द्वारा नाराजगी व्यक्त की जा रही हो। पूर्व में भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जब एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए खेल मैदान से निकल रही थी तो उन्होंने रोक कर अचानक ही इस ऐतिहासिक खेल मैदान बड़ी फील्ड का निरीक्षण किया और मैदान की दुर्दशा को देखकर उन्होंने मौजूद अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से मैदान की बाउंड्री सहित बिजली विभाग द्वारा अतिक्रमण किए गए स्थान को तुरंत प्रभाव से हटवाने के निर्देश दिए लेकिन आक्रमण अधिकारियों के निकम्मेपन के कारण यह उस समय भी संभव नहीं हो पाया था। बड़ी मुश्किल से एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा एक राष्ट्रीय अभियानों को समर्पित कार्यक्रम के दौरान इस मैदान को न केवल हरा भरा किया गया बल्कि स्थानीय खेल प्रेमियों व भामाशाहों के सहयोग से इस
मैदान की तस्वीर को पूरी तरह बदल दिया गया था। वर्ष 2017-18 के दिनों को याद करते हुए भी आज अनेक खेल प्रेमी मैदान की दुर्दशा को देखकर कहते हैं वह एक सपना था जिसे समर्पित खेल प्रेमियों ने पूरा करके दिखाया था लेकिन दुर्भाग्य स्थानीय नगर परिषद व प्रशासन की उपेक्षा से आज एक बार फिर मैदान की दुर्दशा बन आई है।

न्यूज़ सोर्स : Dholpur